Mantra Siddhi: मंत्र सिद्धि में सफलता इस प्रकार प्राप्त करें
मंत्र साक्षात् देवों की ही अंश होते है. मंत्र जप द्वारा देवों को खुश करने की परम्परा आदि काल से चली आ रही है. वैसे तो मंत्र अपनी शक्ति कभी नहीं खोते और इनका जप कभी व्यर्थ नहीं जाता | किन्तु यदि संकल्प के साथ किसी भी मंत्र का नियमित रूप से जप किया जाये तो इनका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.| संकल्प के साथ व्यक्ति जिस भी कार्य को ध्यान में रखकर मंत्र जप करता है उसे सफलता अवश्य मिलती है . आज हम आपको किसी भी मंत्र को सिद्ध करने की बड़ी ही सरल और संक्षिप्त विधि के विषय में जानकारी देने वाले है . किसी भी मंत्र को सिद्ध करने के लिए स्वयं पर और अपने ईष्ट देव पर द्रढ़(अटूट) विश्वास होना चाहिए | जितना आप मन को एकाग्र करके मंत्र का जप करेंगे, मंत्र भी अति शीघ्रता से सिद्ध होने लगेगा .
मंत्र सिद्ध करने की विधि :
किसी भी मंत्र को सिद्ध करने का समय 21 से 41 दिन का होता है | यदि आपके पास समय का थोड़ा अभाव है तो आप 21 दिन का संकल्प लेकर सुबह और शाम दोनों समय मंत्र जप कर सकते है | अन्यथा आप मंत्र सिद्ध करने का यह कार्य 41 दिन में ही संपन्न करने का प्रयत्न करें तो अधिक उत्तम है.| 41 दिन के समय में आप दिन में सिर्फ एक ही निश्चित समय पर मंत्र जप करें.
मंत्र सिद्धि में मंत्र जप करने की विधि : –
मंत्र सिद्ध/Mantra Siddhi करते समय जब आप पहले दिन मंत्र जप करते है तो आप मंत्र को मुख से बोलकर करें. जैसे-जैसे आपका मंत्र में रमण होने लगता है अब आप मंत्र को सिर्फ होठों से बुदबुदाना शुरू करें(उच्चारण बिल्कुल धीमे स्वर में करें). और 4 से 5 दिन के बाद अब आप मंत्र को मन ही मन जप करना शुरू कर दे.| मन ही मन मंत्र का उच्चारण सामान्य बोलकर किये गये मंत्र उच्चारण की अपेक्षा 1000 गुना अधिक प्रभावी माना गया है.|
मंत्र सिद्ध करते समय सरल व संक्षिप्त पूजा विधि :
आप जिस भी देव या देवी के मंत्र को सिद्ध करने जा रहे है.| उस देव या देवी की फोटो को पूर्व दिशा की तरफ एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित कर ले.| आप जिस मंत्र को सिद्ध करने वाले है उस मंत्र को एक पेपर पर साफ-साफ लिखकर फोटो के नीचे रख दे.| चौकी के दायें तरफ एक मिटटी के कलश में पानी भरकर रख दे.| एक ऐसा नारियल जो बिना पानी का हो और हिलाने पर बजता हो, इस नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर इसके ऊपर लाल धागा लपेट दे, अब इसे मिटटी के पानी वाले कलश के ऊपर रख दे.|
अब जल पात्र के थोड़ा आगे एक मिटटी के दिए में घी का दीपक प्रज्वल्लित करें. अब आप श्री गणेश जी की स्थापना करें.|एक मिटटी की डली पर लाल धागा लपेटकर उसे कुमकुम से तिलक करें.| अब इसे एक कटोरी में थोड़े चावल रखकर उसमें इसे रख दे.| इस प्रकार से आप गणेश जी स्थापना कर सकते है . गणेश जी को देव की फोटो के ठीक आगे चौकी पर ही रखे.
एक पात्र में जल भरकर साथ में रख ले. दो पात्र में चावल और चीनी भी साथ में रख ले.| मंत्र जप के लिए रुद्राक्ष की अभिमंत्रित माला व गौमुखी भी साथ रखे.| थोड़ी घास जिसे दूब कहते है लेकर इसे अच्छे से धोकर लाल धागे से नीचे से बांध दे. इसे आप जल के पात्र में रख दे.
अब आप चौकी के सामने आसन बिछाकर बैठ जाए . सबसे पहले सभी दिशाओं और स्वयं को पवित्र करें . दूब(घास) द्वारा जल के सभी दिशाओं में छींटे देते हुए बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैं सभी दिशाओं और स्वयं को इस पूजा के लिए पवित्र करता हूँ . अब पृथ्वी को हाथ से स्पर्श कर हाथ को माथे से लगाते हुए बोले : ॐ आधार भूमे नमः , जन्म भूमे नमः , कर्म भूमे नमः . अब दीपक की तरफ हाथ जोड़ते हुए सूर्य देव का ध्यान करते हुए उन्हें नमन करें .
अब आप गणेश जी के स्तुति मंत्र द्वारा उनका स्मरण करें| और बोले हे गणेश जी आओ और अपना स्थान ग्रहण करो . अब सभी देवी व देवतों का समरण करते हुए बोले : सभी देव व देवी आओ व अपना स्थान ग्रहण करें . थोड़े चावल लेकर इन्हें चौकी फोटो के बाए तरफ रखते हुए बोले : हे पित्र देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो | अब आप जिस भी देव या देवी का मंत्र जप कर रहे है उनका आव्हान करें : हे ईष्ट देव आओ और अपना स्थान ग्रहण करो .
अब सभी देव व देवी जिनकी स्थापना हमने की है उनका दूब द्वारा 4 – 4 बार छींटे देते हुए बोले : हे देव मैं आपके पाँव धुलवाता हूँ , हाथ धुलवाता हूँ , आचमन करवाता हूँ और स्नान करवाता हूँ | लाल धागे के 3 छोटे-छोटे टुकड़े गणेश जी को समर्पित करें : यह उनके लिए वस्त्र , उपवस्त्र और यज्ञोपवित है | इसी प्रकार से वरुण देव – पित्र देव और अपने ईष्ट देव को लाल धागे के 3 छोटे -छोटे टुकड़े वस्त्र -उपवस्त्र और याग्योवापित के रूप में समर्पित करें . अब सभी देवों को चावल – कुमकुम व मीठा समर्पित करें | अब सभी देवों को फिर से जल समर्पित करें | अब हाथ जोड़कर सभी देवों का ध्यान करें |
मंत्र सिद्ध करते समय संकल्प इस प्रकार ले :
यह सब कार्य करने के उपरांत अब आपका मुख्य कार्य आरम्भ होता है | अब आप मंत्र जप के लिए संकल्प ले सकते है | संकल्प इस प्रकार ले : दाए हाथ की हथेली में थोडा जल लेकर बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैं(अपना नाम बोले ) गोत्र (अपना गोत्र बोले ) अपने कार्य की सिद्धि के लिए ….देव के मंत्र जप कर रहा हूँ मेरे कार्य में मुझे सफलता प्रदान करें | ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ते हुए बोले : ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु |
इस प्रकार से संकल्प लेने के उपरांत आप मंत्र जप शुरू कर सकते है.| आप जिनते समय भी मंत्र जप करते है नियमित रूप से उसी संख्या में और उसी समय पर मंत्र जप करें.| मंत्र जप पूर्ण होने पर फिर से हाथ में थोड़ा जल लेकर इस प्रकार से बोले : हे परमपिता परमेश्वर मैंने ये जो मंत्र जप किये है, इन्हें मैं अपने कार्य की पूर्णता हेतु श्री ब्रह्म को अर्पित करता हूँ, ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ते हुए बोले : ॐ श्री विष्णु -ॐ श्री विष्णु – ॐ श्री विष्णु.| अब आप अपने आसन का एक कोना मोड़कर अपना स्थान छोड़ सकते है |
41 दिन पूर्ण होने पर एक हवन का आयोजन करें . इस हवन में जितने मंत्र जप आपने 41 दिन की अवधि में कुल संख्या में किये है उनके दशांश भाग से हवन में मंत्र की आहुतियाँ दे.| ऐसा करने से आपका मंत्र सिद्ध हो जाता है और आपको अपने कार्य में सफलता भी अवश्य मिलती है.| बाद में नियमित रूप से इस मंत्र का जप दो या 5 मिनट के लिए अवश्य करते रहे.| ऐसा करने से मंत्र में शक्ति बनी रहती है.|